उत्तर प्रदेश का इतिहास
उत्तर प्रदेश के इतिहास को पांच भागो में बांटा जा सकता है
- प्रागैतिहासिक एवं पूर्ववैदिक काल (600 ई.पू. तक),
- बौद्ध काल (600 ई. पू. से 1200 ई तक),
- मध्य काल (1200 से 1857 तक),
- ब्रिटिश काल (1857 से 1947 तक)
- स्वातंत्रोत्तर काल (1947 से अब तक)
प्रागैतिहासिक एवं पूर्ववैदिक काल (600 ई.पू. तक)
प्राचीन काल में उत्तर प्रदेश आर्याव्रत का प्रमुख भाग था उत्तर प्रदेश का इतिहास लगभग 4000 वर्ष पुराना है रामायण तथा महाभारत काल के अनेक स्थल उत्तर प्रदेश में स्थित है|
बौद्ध काल (600 ई. पू. से 1200 ई तक)
भगवान बुद्ध ने अपना उपदेश उत्तर प्रदेश के वाराणसी (बनारस) के निकट सारनाथ में दिया था तथा भगवान बुद्ध का परिनिर्वाण (मृत्यु) उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में हुआ था
16 महाजनपदो में से 8 महाजनपद (कुरु, पांचाल, काशी, कोशल, शूरसेन, चेदी, वत्स और मल्ल) वर्त्तमान उत्तर प्रदेश में स्थित थे
मध्य काल (1200 से 1857 तक)
उत्तर प्रदेश में 12 वीं शताब्दी के अंत में मुस्लिम शासन स्थापित हुआ , मुहम्मद गौरी ने गहड़वाल वंश के राजाओ को हरा कर उत्तर प्रदेश में मुस्लिम शासन की नीव रखी|
अकबर ने उत्तर प्रदेश में फतेहपुर सीकरी नगर की स्थापना की तथा शाहजहाँ ने आगरा में ताजमहल का निर्माण करवाया|
ब्रिटिश काल (1857 से 1947 तक)
ब्रिटिश काल की शुरुवात में उत्तर प्रदेश बंगाल प्रेसिडेंसी का हिस्सा था लेकिन सन 1833 में इसे बंगाल प्रेसिडेंसी से अलग कर पश्चिमोत्तर प्रान्त (आरम्भ में आगरा प्रेज़िडेन्सी कहलाता था) गठित किया गया।
ब्रिटिश शासन के खिलाप पहले आन्दोलन की शुरुवात उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले से हुई थी|
सन 1902 पश्चिमोत्तर प्रान्त का नाम बदलकर संयुक्त प्रान्त कर दिया गया
प्रारंभ में संयुक्त प्रान्त की राजधानी इलाहाबाद थी जिसे 1920 में लखनऊ स्थान्तरित कर दिया गया|
स्वातंत्रोत्तर काल (1947 से अब तक)
1947 में स्वतंत्रता के बाद संयुक्त प्रान्त भारतीय गणराज्य की प्रशानिक इकाई बन गया और दो साल के अंतर्गत टिहरी गढ़वाल व रामपुर को भी संयुक्त प्रान्त में शामिल कर दिया गया|
12 जनवरी 1950 को संयुक्त प्रान्त का नाम बदलकर उत्तर प्रदेश कर दिया गया|
9 नवम्बर 2000 को उत्तर प्रदेश 13 जिलो को अलग करके उत्तराँचल का गठन किया गया जिसका 2007 में नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया|